Amritbani Satguru Ravidass ji 1.1

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करीबन Amritbani Satguru Ravidass ji

अमृतबाणी गुरु रविदास जी रविदासी धर्म की पवित्र पुस्तक है। गुरु रविदास जी एक सामाजिक-धार्मिक सुधारक, विचारक, ईश्वरवादी, मानवतावादी, कवि, यात्री, शांतिवादी और आध्यात्मिक हस्ती थे, जिनके सामने वाराणसी (बनारस) के प्रमुख-पुजारी भी श्रद्धांजलि देने के लिए प्रणाम करते थे ।

अमृतबाणी गुरु रविदास जी में गुरु रविदास जी की शिक्षाओं से गुरु रविदास जी द्वारा 240 भजन किए गए हैं, जहां यह निम्नलिखित रागों और नदश के अंतर्गत आता है; सिरी (1), गौरी (5), आसा (6), गूजरी (1), सोरथ (7), धनसारी (3), जैत्सारी (1), सुही (3), बिलावल (2), गौंड (2), रामकली (1), मारू (2), केदारा (1), भैराऊ (1), बसंत (1), और मल्हार (3) । इसमें 140 शबद, 40 पाडे, पेंटी अखरी, बानी हाफतवार, बानी पंधन तिराहे, बारां मास उपदेश, डोहरा, सांड बानी, अनमोल वचन (मिलनी दे समीन), लावण, सुहाग उदा, मंगलाचर, 231 सालोक शामिल हैं। सभी पुस्तक में 177 पृष्ठ हैं।

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सुविधाऐं: 1) आसानी से पठनीय। 2) ऑफलाइन पीडीएफ

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जय गुरुदेव, धन गुरुदेव।