Muzammil 3.0
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इस सूरा में 20 अय्याश हैं और मक्का में इसका खुलासा हुआ। कुछ विद्वानों का कहना है कि मदीना में इसका खुलासा हुआ था। यह पवित्र पैगंबर (s.a.w.) से सुनाया जाता है कि एक व्यक्ति जो इस सूरा पाठ बुरा समय का सामना कभी नहीं होगा । जो व्यक्ति ईशा या तहज्जूद की प्रार्थनाओं में इसका पाठ करता है, वह हमेशा हृदय का शुद्ध रहता है और शुद्ध अवस्था में रहते हुए भी मर जाता है। इमाम जा दूर के रूप में-सादिक (एएस) ने कहा कि एक व्यक्ति जो इस सूरा ठीक से पाठ पवित्र पैगंबर (s.a.w.) से मिलने का मौका मिलेगा और अगर वह अल्लाह से कुछ के लिए प्रार्थना करता है (s.w.t.) वह मिल जाएगा । गुरुवार की रात सूरा अल-मुजम्मिल को सौ बार पढ़ने से सौ बड़े पापों को माफ कर दिया जाता है और सौ पुरस्कार की प्राप्ति होती है। इस सूरा का पाठ पागलपन से और लोगों के गुलाम होने से बचाता है। वाचक पागलपन से संरक्षित किया जाएगा उसके पास दिल की शुद्धता होगी क्षमा अर्जित की है अगर १०० बार गायन एक एस हाजत पूरा हो जाएगा लोगों द्वारा गुलामी को रोकता है