दुआ ई गंजुल अर्श की फाजिल - ===================== एक दिन हजरत मुहम्मद सालल्लाहू अलैही वा सल्लम मस्जिद में बैठे थे और हजरत जिब्रील अलेहिसलाम इस दुआ को रसूलुल्लाह सालाल्लाहु अलैही वा सल्लम के पास ले आए । हजरत जिब्रील अलैहिसलाम ने कहा कि इस दुआ में बहुत सारे फाजिल [एहसान] के अलावा, वाचक को अल्लाहू टा ' अला से तीन चीजें मिलती हैं, - सबसे पहले, अल्लाह उसे ग़ैब से रिजक़ [आजीविका] देता है, - दूसरे, वह बुरी नजर और बुरे मंत्र से सुरक्षित होगा, और - तीसरा, जो कोई भी इस दुआ को अपने दुश्मनों को सुनाता है, वह उस पर काबू नहीं पा पाएगा। वह उनसे श्रेष्ठ होगा।
=========================== हदीष : रिवायत मे है की एक दिन हुज़ूर सल्लल्लाहु अलयही व सल्लम मस्जिद मे तशरीफ फरमा थे की तभी हज़रत जिब्रईल अलयहिस्सलाम हाजिर आए और दुआ ए गंजुल अर्श हुज़ूर सल्लल्लाहु अलयही व सल्लम को तालिम फरमाई और इस दुआ के बहोत से फजाईल बयान किए ! फरमाया की इस दुआ ए मुबारका के पढ़ने वाले को अल्लाह तआला 3 चिजे ईनायत फरमाएगा : (1) उसकी रोज़ी मे बरकत देगा, (2) उसको गैब से रोज़ी अता फरमाएगा, (3) उसके दुश्मन आजिज़ और ज़लील रहेंगे ।
- नुज़हतुल मजालिस
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संस्करण इतिहास
- विवरण 1.0 पर तैनात 2015-09-13
कार्यक्रम विवरण
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- प्रकाशक: Star Infosys
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- विवरण: 1.0
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